भक्तों की पुकार

भक्तों की सुने पुकार, श्याम तुम्हे आना पड़ा ।
श्याम तुम्हे आना पड़ा, श्याम तुम्हे आना पड़ा ।

द्रोपदी की टेर सुनी दौड़े मुरारी ।
देंन न कीन्ही प्रभु लज्जा सावरी ।
दुष्ट दुशाशन गया हार ।
श्याम तुम्हे आना पड़ा ।।

गज की पुकर सुनी नंगे पैर दौड़े ।
तिल भर सूंड रही आकर बचाये ।
चक्र से ग्रह संहार ।
श्याम तुम्हें आना पड़ा ।।

भक्त प्रहलाद ने तुमको पुकारा ।
छुड़ा प्रहलाद हिरणकश्यप मारा ।
नृसिंह रूप लिया धारा।
श्याम तुम्हे आना पड़ा ।।