गीता सार

आप चिंता क्यों करते जो ।
मौत से व्यर्थ में क्यों डरते हो ।।
आत्मा तो चिर अमर है जान लो ।
तथ्य यह जीवन का सच्चा अर्थ है ।।
भूतकाल जो गया अच्छा गया ।
वर्तमान देख लो चलता भाया ।।
भविष्य की चिंता सताती है तुम्हें ।
है विधाता सारी रचना रच गया ।।
नयन गीले हैं तुम्हारा क्या गया ।
साथ क्या लाये जो खो दिया ।।
किस लिए पछता रहे हो तुम कहो ।
जो लिया तुमने यहीं से है लिया ।।
नंगे तन पैदा हुए थे खली हाथ ।
कर्म सदा रहता है मानव के साथ ।।
सम्पन्नता पर तुम मग्न तुम होते जो ।
एक दिन तुम भी चलोगे खाली हाथ ।।
धारणा मन में बसा लो बस यही ।
छोटा बड़ा, अपना पराया है नहीं ।।
देख लेना मन आँखों से जरा ।
भूमि धन परिवार संग जाता नहीं ।।
तन का क्या अभिमान करना बावरे ।
कब निकल जाये तेरा प्राण रे ।।
पाँच तत्व से बना यह तन तेरा ।
होगा निश्चय यह यहाँ निष्प्राण रे ।
स्वयं को भगवान के अर्पण करो ।।
शोक से, भय से रहोगे मुक्त तुम ।
सर्वस्व ईश्वर को समर्पण करते चलो ।।