देख रूप मोहन की शोभा,
निज नैनन को बड़ो भाग रे ।
अदभुत सुन्दर भलक बदन पै,
बिखसर रही अलकें घुंगरारि ।।
मुख भोरो नैन अलसाने,
कोटि मदन कीजो बलिहारी ।
मीन चंचलता तजि खंजन,
राजत ललितरूप फुलवारी ।।
लेत जम्भाई, मात दे चुटकी,
छया रही तन रैन खुमारी ।
मनमोहन की या छवि ऊपर,
मोहे जग के सकल नर नारी ।।