मालूम न था

चाँद बदल में छिपा था मुझे मालूम न था ।
भूल कर इश्क किया था मुझे मालूम न था ।।
मैंने सवः था की जगत में रहूँगा कायम ।
कब्र मेरा बतन था मुझे मालूम न था ।।
मेरे दिल के परदे में खुदा रहता था ।
इक नुक्ते में खुद से जुदा था मुझे मालूम न था ।।
मैन सोचा था कि दुनिया में बनूँगा दूल्हा ।
खास पोशाक कफ़न था मुझे मालूम न था ।।
जबकि पूछेगा खुदा मुझसे किये कितने गुनाह ।
ख्वावे गफ़लत में था मुझे मालुम न था ।।