जब प्रेम का डंका बजा दिया,
मन मोहन मुरली वाले ने।।
मृतक में जीवन डाल दिया,
मन मोहन मुरली वाले ने ।
अज्ञान रात अंधियारी थी,
होना मुश्किल रखवारी थी ।
सोते से आकर जग दिया,
मन मोहन मुरली वाले ने ।।
दुशाशन - शकुनी - दुर्योधन,
करना चाहते द्रौपदी नग्न ।
बस वासन उसी डैम बढ़ा दिया,
मन मोहन मुरली वाले ने ।।
पलटनें ख़ड़ी थी लड़ने को,
कट कट कर राण मे मारने को ।
गीता का बिगुल बज दिया,
मन मोहन मुरली वाले ने ।।
गीता उत्तम पुस्तक सुन्दर,
जिसमे भर दिया प्रेम मंतर ।
अर्जुन को निर्भय बना दिया,
मन मोहन मुरली वाले ने ।।
गउएँ दुःख से है चिल्लाती,
सुन सुन कर है फटती छाती ।
याद याद ही संकेत किया,
मन मोहन मुरली वाले ने ।।
गोपाल कृष्ण फिर आये है,
बंधिकों से गाये छुड़ाने को ।
जिसने सहस कंस को बध किया,
मन मोहन मुरली वाले ने ।।