ये आंसू

जिगर के टुकड़े है यह हमारे,
जो आंसू बन कर निकल रहे है ।
विरह की अग्नि में जल रहा हूँ,
यों आसुओं से बुझा रहे है ।। टेक ।।
उन्होंने मेरा दिल हर लिया है,
यो ही ये आंसू ढलक रहे है ।
दर्शन दिखा दो हे नाथ अब तो,
हम आप ही को मना रहे है ।। 1 ।।
मोर मुकुट की छवि जय न्यारी,
पीताम्बरी को सजा रहे है ।
तुम्हारी लीला अपार, भगवान,
जो आप हमको दिखा रहे है ।। 2 ।।
भक्तों के हित्त लिए है स्वामी ,
ये आप मुरली बजा रहे है ।
पड़ा है दर पर ये दास व्याकुल,
भगवान क्यों हमको सता रहे है ।। 3 ।।