तुम आओ न आओ यहाँ तुमको,
निशिवासर ही में बुलाया करूँ ।
तेरे नाम की माला सदा है सखे,
मन की मणियों पर मै फिराया करूँ ।।
जिस पथ में पाँव धरो तुम सखे,
उस पथ पर मैं पलकें बिछाया करूँ ।।
भर लोचन की गगरी नित ही,
पद पंकज पर ढलकाय करूँ ।।
तुम आओ कभी भूल से यहाँ,
दृग नीर दे पाँव पखारा करूँ ।।
मन मंदिर स्वच्छ करा है सखे,
उस आसान पै पधराया करूँ ।।
मृदु मंजुल भाव की माला बना,
तेरी पूजा का साज सजाया करूँ ।।
अब और नहीं कुछ पास मेरे,
नित प्रेम के पुष्प चढ़ाया करूँ ।।
तुम जान अयोग्य बिसतो मुझे,
पर मैं न तुम्हे बिसराया करूँ ।।
गुण गान करूँ नित ध्यान करूँ,
तुम मन करो मैं मनाया करूँ ।।
तेरे भक्तों की भक्ति करूँ सदा,
तेरे चाहने वालों को चाह करूँ ।।