अगर हमको तेरा सहारा न होता
भरी छल की दुनियां में गुजारा न होता
बड़े बेवफा है ये दुनिया वाले
ऊपर से उजले भीतर से काले
अगर ज्ञान न दे करके उबारा न हो
भरी छल की दुनियां में गुजारा न होता
लगाया जो तुमने प्यार का बगीचा
कभी अपनी सेवा से इसको न सीचा
कृष्णा दृष्टि दे जो संवारा न होता
भली छाल की दुनिया में गुजरा न होता
सुलझ ही न पाती ये मन की गिठायें
खत्म न होती वृथा कल्पनायें
तेरी ज्योति का जो नजारा न होता भरी छल की दुनियां में गुजरा न होता ।