आरती श्री गंगा जी की

ॐ जय जय जय गंगे श्री गंगे ।
त्रिलोकी के तारन कष्ट निवारण ।। टेक ।।
भक्त उबारन आई गंगे ।
आश्चर्य महिमा वेद सुनावे ।। जय 0 ।।
नर मुनि ज्ञानी ध्यान लगावे ।
जो तेरी शरणागति आवै।। जय 0 ।।
जीवन मुक्ति इच्छाफल पावै ।
पाप हरण भक्ति की दाता ।। जय 0 ।।
कटे दर्शन की त्राशा ।
लाल आरती जो नित गावे ।। जय 0 ।।
बसि बैकुंण्ठ अमर पद पावे ।