न हिन्दू बनाया न मुसलमान बनाया ।
भगवान ने बन्दा सिर्फ इंडेन बनाया ।।
लेते ही जन्म पड़ गए जाल मजहब के ।
कानों में गूँजने लगे सुरताल मजहब के ।।
हिन्दू कोई मुसलमान कोई सिख कोई ईसाई ।
आने लगे बन्दे तुझे ख्याल मजहब के ।।
इन ख्यालों ने इंसान को शैतान बनाया ।। न हिन्दू
सबका लहू है एक जिस्म सबका एक है ।
हिन्दू मुसलमान धर्म सबका एक है ।।
रुइ की दीवार है तू नोद दे इंसान ।
उस एक को पहचान कर्म सबका एक है ।।
क्यों स्वर्ग सी धरती की श्मशान बनाया ।। न हिन्दू
क्यों फिकरों में पड़ कर जन्म खोये रहा है ।
एक पुण्य करने जाए सौ पाप होये रहा है ।।
मनुष्य जन्म मिला है जरा सोच समझ ले ।
काँटों के बीज क्यों बोए रहा है ।।
क्यों नर्क में जाने का सामान बनाया ।। न हिंन्दु
कुरान की आयात से यह आवाज है आती ।
गीता भी हमें रोज यही गान सुनाती ।।
क्या ग्रन्थ क्या एंजिला वो क्या भेद है कहते ।
सब एक है बन्दे न कोई जाती किसी की ।।
नादान हमीं ने ख्याले मजहब बनाया ।। न हिन्दू