जग में गुरु समान नहीं कोई दाता ।। टेक
वस्तु अगोचर देइ मेरे सत् गुरु,
भली बताई बाता ।
काम और क्रोध कैद कर राखे,
लोभ को लीना न था ।। 1 ।।
काल करे सो हाल ही कर ले,
फेर न मिले यह साथा ।
चौरासी में जाये गिरोगे,
भुगतो दिन और राता ।। 2 ।।
शब्द पुकार पुकार कहत है,
कर ले सन्तन साथा ।
सुमिरण बन्दगी कर साहब की,
काल नवावे माथा ।। 3 ।।
कहे कबीर सुनो धर्म दासा,
मानो बचन हमारा ।
पारदा खोल मिलो सत् गुरु से,
उत्तरो भाव जल पारा ।। 4 ।।