तब पावेंगे तब पावेंगे,
जब गुरु की शरण सिधावेंगे ।।
भरा समुन्दर गहरा पानी,
अध बिच नाव रही अटकानी ।
बिना मल्लाह के चतुर सुजानी,
कैसे तर कर जावेंगे ।। 1 ।।
पर्बत ऊपर शिखर मकाना,
प्रीतम पास खास चल जाना ।
कौन बतावे राह ढिकाना
जंगल में भटकावेंगे ।। 2 ।।
नोंलाख तारा उगिया भारी,
सूरज चाँद करे उजियारी ।
ज्ञान बिना सब रेन अंधियारी,
किस विधि दर्शन पावेंगे ।। 3 ।।
गुरु भवसागर पर लगावे ।
मन के सारे भ्रम मिटावे,
ब्रहमानन्द समावोगे ।। 4 ।।
जब गुरु की शरण सिधावेंगे ।।
भरा समुन्दर गहरा पानी,
अध बिच नाव रही अटकानी ।
बिना मल्लाह के चतुर सुजानी,
कैसे तर कर जावेंगे ।। 1 ।।
पर्बत ऊपर शिखर मकाना,
प्रीतम पास खास चल जाना ।
कौन बतावे राह ढिकाना
जंगल में भटकावेंगे ।। 2 ।।
नोंलाख तारा उगिया भारी,
सूरज चाँद करे उजियारी ।
ज्ञान बिना सब रेन अंधियारी,
किस विधि दर्शन पावेंगे ।। 3 ।।
गुरु भवसागर पर लगावे ।
मन के सारे भ्रम मिटावे,
ब्रहमानन्द समावोगे ।। 4 ।।