फिर न बनेगी

अब न बनेगी तो फिर न बनेगी ।
नर तन बार बार नहीं मिलता ।। टेक ।।
भजन किया नहीं सत्संग आया,
हीरा जन्म यूँ वृथा गँवाया ।
जननी तेरी मुझे फिर न जानेगी ।।
तेरी जवानी भरम भुलानी,
गुरु पितु माता की मात न मानी ।
नय्या कहो कैसे पार लगेगी ।।
सुर कूर तेरी काया माटी,
धरनी पड़ेगी पतंग ज्यों काटी ।
माटी में माटी, मिल के रहेगी ।।